बुधवार, 13 जून 2012


कैसे  कह दूं कि  ,
तुम मेरे पास नहीं हो,
जबकि दुःख के हर छण में,
मैंने  महसूस की है
 तुम्हारी उपस्थिति अपने पास,
अपने दिल के बहुत करीब,
कैसे कह दूं कि ,
 तुमने मेरा साथ नहीं दिया,
जबकि कितनी ही बार
अवचेतन रूप में,
तुमने पोंछे  हैं मेरे आंसू,
लगाया है मुझे गले,
कैसे कह दूं कि  भूल चुकी हूँ तुम्हे,
जबकि हर पल रहता है
तुम्हारा ही चेहरा,
 मेरी आँखों के आगे,
कैसे कह दूं कि  जी  लूंगी,
 मैं  तुम्हारे बिन,
जबकि तुम्हारे बिना जीने की
कल्पना तक नहीं की है,
 आज तक मैंने ,
कैसे कह दूं कि ,
 अलग अलग हैं,
 हम दोनों के जीवन,
जबकि तुम्हारे बिना,
  ये जीवन लगता है
 कितना अर्थ हीन ,
अधूरा सा,
कसे कह दूं कि  नहीं है,
 तुम्हारा इंतजार मुझे,
जबकि आज भी नहीं छोड़ा  है,
 मेरी आँखों ने ,
तुम्हे लेकर सपने देखना,
 भविष्य के।


3 टिप्‍पणियां: